राहुल गांधी की अडिग लड़ाई और सामाजिक न्याय की ऐतिहासिक जीतः जातिगत जनगणना से लेकर नीतिगत सुधारों तक BJP को झुकना पड़ा - जीतू पटवारी

भोपाल, 1 मई 2025।राहुल गांधी की अडिग लड़ाई और सामाजिक न्याय की ऐतिहासिक जीतः जातिगत जनगणना से लेकर नीतिगत सुधारों तक BJP को झुकना पड़ा - जीतू पटवारी



मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री जीतू पटवारी ने केंद्र सरकार की 2026 की जनगणना के साथ जातिगत जनगणना कराने की घोषणा को सामाजिक न्याय की दिशा में एक क्रांतिकारी और ऐतिहासिक कदम करार देते हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्री राहुल गांधी की दूरदर्शिता, अथक संघर्ष और जनहित के प्रति उनकी अडिग प्रतिबद्धता की जोरदार प्रशंसा की है। यह फैसला केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि राहुल गांधी की उस जुझारू और बुलंद आवाज का परिणाम है, जिसने भाजपा सरकार को बार-बार घुटने टेकने पर मजबूर किया है। मध्यप्रदेश की धरती से हम गर्व के साथ कहते हैं कि राहुल गांधी की यह जीत हर उस ओबीसी, दलित, और आदिवासी के लिए एक नई उम्मीद की किरण है, जो दशकों से अपने हक से वंचित रहा है!


श्री जीतू पटवारी ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, "राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना को सामाजिक समानता का आधार बनाकर इसे न केवल राष्ट्रीय विमर्श का केंद्र बनाया, बल्कि भाजपा की वंचित-विरोधी नीतियों की पोल खोल दी। 2023 से 2024 तक, उन्होंने संसद में, रैलियों में, प्रेस कॉन्फ्रेंस में, और सोशल मीडिया पर इस मु‌द्दे को आंधी की तरह उठाया। तेलंगाना के जातिगत सर्वेक्षण को एक पारदर्शी और समावेशी मॉडल के रूप में प्रस्तुत करते हुए, उन्होंने 50% आरक्षण सीमा को हटाने की मांग उठाकर भाजपा की दलित, बिछड़ा वर्ग विरोधी मानसिकता को ललकारा है। यह राहुल गांधी का अडिग संकल्प और मध्यप्रदेश कांग्रेस का साथ था, जिसने भाजपा को इस ऐतिहासिक फैसले के लिए मजबूर किया। हम मध्यप्रदेश की जनता की ओर से राहुल गांधी को इस शानदार जीत के लिए सलाम करते हैं।"


श्री पटवारी ने जोर देकर कहा कि जातिगत जनगणना की यह जीत राहूल गांधी की उस सतत लड़ाई का हिस्सा है, जिसमें उन्होंने बार-बार भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों को न केवल उजागर किया, बल्कि उन्हें वापस लेने के लिए बाध्य किया। उन्होंने कुछ प्रमुख उदाहरणों के साथ भाजपा की नाकामियों को उजागर कियाः


1. कृषि कानूनों की वापसी (2021): राहुल गांधी ने कॉरपोरेट-हितैषी तीन कृषि कानूनों को किसान-विरोधी बताकर उनकी जड़ें हिला दीं। उनकी रैलियों और किसानों के साथ एकजुटता ने भाजपा को घेरा, और अंततः 2021 में सरकार को ये काले कानून वापस लेने पड़े। यह राहुल गांधी की किसान-हितैषी राजनीति की जीत थी!


2. अग्निवीर योजना में सुधार (2024): राहुल गांधी ने अग्निवीर योजना को युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताते हुए 3 जुलाई 2024 को लोकसभा में इसका तीखा विरोध किया। शहीद अग्निवीरों के परिवारों के लिए मुआवजा और पेंशन की उनकी मांग ने भाजपा को हिलाकर रख दिया। अगले ही दिन, 4 जुलाई 2024 को सरकार ने मुआवजा शुरू किया और सुधारों की घोषणा की। यह राहुल गांधी की युवा-शक्ति की जीत थी।


3. ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज बिल की वापसी (2024): राहुल गांधी ने अगस्त 2024 में प्रस्तावित इस बिल को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताकर इसका पुरजोर विरोध किया। उनके नेतृत्व में हुए आंदोलन ने भाजपा को इतना दबाव में ला दिया कि सरकार को बिल वापस लेना पड़ा। यह लोकतंत्र की जीत थी।


4. लेटरल एंट्री भर्ती रद्द (2024): राहुल गांधी ने सिविल सेवाओं में लेटरल एंट्री को SC, ST, और OBC समुदायों के आरक्षण पर हमला बताकर भाजपा की साजिश को बेनकाब किया। उनके आक्रामक रुख के कारण अगस्त 2024 में सरकार ने 45 भर्तियों को रद्द किया। यह सामाजिक न्याय की जीत थी!


5. रेलवे कुलियों की मांगें (2025): फरवरी 2025 में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ के बाद राहुल गांधी ने रेलवे कुलियों की बदहाली को उठाया। मार्च 2025 में उनकी मुलाकात और संसद में उनकी मांगों ने भाजपा को सुधारों के लिए सोचने पर मजबूर किया। यह समाज के सबसे निचले तबके की जीत थी!


6. GST दरों में कमी (2024): राहुल गांधी ने छोटे व्यवसायों और आम जनता पर GST के बोझ को लेकर भाजपा की आलोचना की। उनके दबाव में 2024 में सरकार ने कुछ वस्तुओं पर GST दरें कम की और MSME के लिए राहत दी। यह मध्यम वर्ग की जीत थी।


7. नोटबंदी और कोविड-19 की भविष्यवाणीः राहुल गांधी ने 2016 में नोटबंदी को अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी बताया, जो RBI की रिपोर्ट से सही साबित हुआ। कोविड-19 लॉकडाउन के आर्थिक प्रभावों की उनकी चेतावनी भी 2020-21 की GDP गिरावट के साथ सत्यापित हुई। यह उनकी आर्थिक दूरदर्शिता की जीत थी। 


श्री पटवारी ने भाजपा पर हमला तेज करते हुए कहा, "भाजपा की नीतियां हमेशा से कॉरपोरेट-हितैषी और वंचित-विरोधी रही हैं। लेकिन राहुल गांधी ने अपनी बुलंद आवाज और जन-केंद्रित राजनीति से भाजपा को बार-बार झुकने के लिए मजबूर किया। मध्यप्रदेश में ओबीसी, दलित, और आदिवासी समुदायों की बड़ी आबादी है, और जातिगत जनगणना उनके हक को सुनिश्चित करने का एक शक्तिशाली हथियार बनेगी। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि यह प्रक्रिया पारदर्शी हो और इसका लाभ मध्यप्रदेश के हर वंचित परिवार तक पहुंचे।"


उन्होंने आगे कहा, "राहुल गांधी की यह लड़ाई केवल जातिगत जनगणना तक सीमित नहीं है। वे हर उस मुद्दे पर डटकर लड़ते हैं, जो समाज के कमजोर वर्गों को प्रभावित करता है। मध्यप्रदेश कांग्रेस उनके नेतृत्व में भाजपा की जनविरोधी नीतियों को और बेनकाब करेगी। हम मध्यप्रदेश की जनता से अपील करते हैं कि वे राहुल गांधी के इस विजनरी नेतृत्व का समर्थन करें और सामाजिक समानता, न्याय, और प्रगति के इस यज्ञ में शामिल हों।"


श्री पटवारी ने चेतावनी दी, "भाजपा को यह समझ लेना चाहिए कि राहुल गांधी की आवाज को दबाया नहीं जा सकता। उनकी नीतिगत परिपक्वता, सामाजिक संवेदनशीलता, और जनता के प्रति समर्पण ने उन्हें देश का सबसे विश्वसनीय और जुझारू नेता बनाया है। जिस दिन राहुल गांधी जैसे नेता भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे, वह दिन देश और मध्यप्रदेश के लिए समृद्धि, समानता, और खुशहाली का स्वर्णिम युग लाएगा।"


मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी राहुल गांधी के नेतृत्व में एक समावेशी, न्यायपूर्ण, और प्रगतिशील मध्यप्रदेश के निर्माण के लिए कटिबद्ध है। हम मध्यप्रदेश की जनता को विश्वास दिलाते हैं कि हम उनके हक की लड़ाई को और मजबूत करेंगे और भाजपा की हर जनविरोधी नीति का डटकर मुकाबला करेंगे।

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