पीसीडब्ल्यूजे ने महामहिम राष्ट्रपति के नामे सौपा ज्ञापन, डॉ शेख़ जाकिर

 पीसीडब्ल्यूजे ने महामहिम राष्ट्रपति के नामे सौपा ज्ञापन, डॉ शेख़ जाकिर


 आत्महत्या दि.10 सितम्बर को अनिल खवसे और 07 अक्टूबर 2024 को रवींद्र देशमुख सारणी द्वारा की गई, दोनों आत्महत्या का मामला क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट "सीआईडी" को सौंपने हेतु सौपा ज्ञापन, इरशाद खान


बैतूल।सुसाइट कर्ता अनिल खवसे और रविंद्र देशमुख के परिवारों के इस तरह के हालात हों गए है, कि "बहुत थे जमाने मे हमारे अपने भी, किंतु घर के मुखिया ने सुसाइट क्या, किया की दुनियां भर में हम अनाथ हो गए" वही आरोपी बनाए गए जनप्रतिनिधियों और पत्रकारों की बात करें तो "सियासत दारों का रचाया गया षड्यंत्र अपनी पर उतर आया है, तभी कहते हैं की जज को भी अपने लिए वकील को ढूंढना पड़ता है" जिस कारण उपरोक्त भयावह घटना को गंभीरता से लेते हुए, क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट "सीआईडी" को सौपने की मांग प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट ने ज्ञापन के माध्यम से महामहीम राष्ट्रपतीजी से की है। चुके वर्ष 2024, 10 सितम्बर को अनिल खवसे के साथ ही दि. 07 अक्तूबर 2024 को रवींद्र देशमुख द्वारा देशी पिस्टल से कनपटी पर गोली मारकर आत्महत्या कर ली गई थी, इन दोनो आत्महत्या प्रकरण "क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट" सीआईडी को सौपने को लेकर ज्ञापन के माध्यम से मांग की है। चुकी इन दोनों आत्महत्या के मामले में सारणी पुलिस द्वारा जनप्रतिनिधियों और पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज कर आरोपी बनाया गया है। चुके सारणी पुलिस के अनुसार सुसाइट कर्ता अनिल खवसे द्वारा सुसाइट नोट लिखा गया था, जिसमे "धन राशी" लेनदेन को लेकर 5 लोगों पर प्रताड़ित करने का उल्लेख किया गया वहीं सुसाइट कर्ता रवींद्र देशमुख द्वारा सुसाइट नोट में स्थानीय व्यापारियों के साथ ही पत्रकारों पर समाज में छवि धूमिल करने को लेकर "लाखों रुपए धनराशी" की मांग का उल्लेख किया गया है। जिसमे करीब करीब डेढ़ ढझन प्रताडीतकर्ता लोगों के नाम लिखे गए हैं, जिन्हे पाथाखेड़ा पुलिस द्वारा तत्काल बिना किसी छान बीन के सुसाइट नोट के आधार पर एफआईआर दर्ज कर समाज मे छवि धूमिल करते हुए हीरासत में लेकर न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया था। जबकी समय समय पर पीड़ित आरोपीयों द्वारा सुसाइट नोट के अनुसार "धन राशि या लाखो रुपए, 'बीसी' 'कैंसर की बीमारी' या सुसाइट कर्ता ओ को उधार दिए गए थे" यह बहुत ही अनसुलझा, रहस्य मय मामला के, लेनदारों द्वारा शिकायते चौकी पाथाखेड़ा, थाना सारणी के साथ ही पुलिस अनुविभागीय अधिकारी को की गई थी। किंतु पीडित आरोपी यों कि शिकायत को पुलिस द्वारा अनसुना किया गया था, जिसका परिणाम दों-दों जानें चली गई, इस अकाल मृत्यु से इनकार नहीं किया जा सकता। उक्त मुर्तको के मृत्यु का दर्द प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के साथ ही जहा तक मै समझता हूं, की समस्त क्षेत्र वासियों को है। उक्त भयावह सुसाइट कर्ताओ की घटनाक्रम की सही दिशा और जमीनी तौर पर आत्महत्या की सच्चाई क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट,"सीआईडी" ही धरातल पर उतरकर हकीकत सामने लाने मे कारगार साबित हों सकती है।

चुके पुलिस ने मृतकों के कथित सुसाइड नोट्स के आधार पर कई पत्रकारों, के साथ ही जनप्रतिनिधियों और व्यापारियों को बिना पर्याप्त जांच के मामला दर्ज कराकर आरोपित किया है। किन्तु स्वयं सारणी पुलिस भूल गई, किस तरह से जिन लोगों पर एफआईआर दर्ज कर आरोपी बनाया गया है, ठीक वही लोग वार-म-वार थाना सारनी और चौकी पाथाखेड़ा के कई मर्तबा चक्कर काटते हुए न्याय की गुहार लगा चुके थे, गर से समय रहते पुलिस शिकायत कर्ताओ की शिकायत को गंभीरता से ले लेती तों शायद दो मौते न होती और दो परिवार का सहारा काल के गाल में न समाता, साथ ही पत्रकारों और जनप्रतिनिधियों को दोषी करार नही दिया जाता। जिस कारण दोनों घटनाक्रम की जमीनी स्तर से जांच क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट से किया जाए तो बेहतर परिणाम पुलिस के साथ ही समस्त क्षेत्र वासियों के सामने आ सकते है, 

चुकी मृतक अनिल खवसे द्वारा जिस वक्त फाँसी लगाकर आत्महत्या कि गई, उस समय घर पर मृतक अनिल खवसे और उनकी पत्नी दोनों ही थे, आत्म हत्या के बाद पुलिस के पहुचने के पूर्व आखिर किस ने अनिल खवसे को फांसी के फन्दे से उतारा था, अपने आप में बहुत बडा सवाल है, चुके उनकी "पत्नी के अलावा किसी ने फाँसी पर लटके हुए अनिल खवसे को नहीं देखा" और घर का सीसीटीवी कैमरा भी बन्द था, इतनी बड़ी भयावह घटना घटी की घर के मुख्या की जीवनलीला समाप्त हो गई, और सीसीटीवी कैमरे बंद अब इसे सांची समझी साजिश भी कह सकते है।

वही सुसाइट कर्ता मुर्तक रविन्द्र देशमुख ने सुसाइट नोट "3 पेज आगे पीछे मतलब 6 पेज" के नोट में जनप्रतिनिधियों और पत्रकारों पर समाज में छवि धूमिल करना, राजनीतिक छवि खराब करने जैसे अन्य गंभीर आरोप लगाया गए हैं। किंतू सुसाइट नोट के अनुसार अपने आप में बहुत बडा सवाल खड़ा होता है, की लाखो रुपए की मांग की जा रही थी, और तों और सुसाइट कर्ता, सुसाइट नोट के अनुसार रवींद्र देशमुख द्वारा लाखों रुपए के साथ ही कईयों को लाखो के चेक भी दिए गए, यहा सवाल यह खड़ा होता है, की ऐसा कौन सा मामला या राज मुर्तक रवींद्र देशमुख का उपरोक्त पीड़ित आरोपियों के पास था, जिस के डर से लाखों रुपए की मांग की जा रही थी। क्या इस दिशा में पुलिस ने कोई ठोस कदम उठाया, इस रहस्य मय मामला को धरातल पर क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट "सीआईडी" ही उतार सकती है। चुके सुसाइट के वक्त दोनो ही वारदातो के समय सीसीटीवी कैमरे बंद थे, या करा दिए गए थे। मामले की गंभीरता और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों और पत्रकारों के साथ ही सुसाइट कर्ता अनिल खवसे व रवींद्र देशमुख के परिवारों को उचित न्याय क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट द्वारा की गई जांच ही न्याय दे सकती है, जिस कारण महामहिम राष्ट्रपति जी क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट को सारणी थाना क्षेत्र में उपरोक्त सुसाइट का मामला सौंपकर उच्चस्तरीय जांच कराए जानें को लेकर ज्ञापन प्रेस क्लब ऑफ वार्किंग जर्नलिस्ट द्वारा बैतूल कलेक्टर को सौपा गया है। ताकि मुर्तकों के परिवारों के साथ ही जनप्रतिनिधियो वही पत्रकार और पत्रकारो के परिवारों को उचित न्याय मिल सकें। बैतूल कलेक्टर कार्यलय में प्रेस क्लब ऑफ वार्किंग जर्नलिस्ट के राष्ट्रीय महासचिव डॉ शेख जाकिर, जिला अध्यक्ष इरशाद खान, कमलेश उईके, रवि सिंगारे, कमलेश जावलकर, देवीनाथ लोखंडे उपस्थित थे।

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