देश की आर्थिक समृद्धि के शिल्पकार,सादगी पसंद भारत रत्न डॉ. मनमोहन सिंह



आने वाली पीढ़ियाँ शायद ही इस बात पर यकीन कर पाएँ कि इस देश पर कभी ऐसे व्यक्ति ने शासन किया था। महात्मा गांधी के लिए आइंस्टीन के शब्दों को उधार लेते हुए, डॉ. मनमोहन सिंह जी के लिए भी यही कहा जा सकता है। शायद ही कोई दूसरा डॉ. मनमोहन सिंह जी हो। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की सादगी पसंद उनके आचरण में दिखाई देती थी, उन्होंने उस दिन अलविदा कहने का फैसला किया, जब कांग्रेस बेलगाम में महात्मा गांधी जी की कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में शताब्दी मना रही थी। ऐसा लगता है जैसे नियति खुद दो महान भारतीयों के बीच एक अमिट संबंध बनाना चाहती थी।दोनों ही सज्जन व्यक्ति, उच्च बुद्धिजीवी, महान निष्ठावान, कर्मठ व्यक्ति और सर्वोच्च मानवीय और नैतिक मूल्यों के प्रतीक थे। असीम अरुण अब बीजेपी के नेता हैं, योगी जी की सरकार में मंत्री हैं, वे पहले पुलिस सेवा में थे। यह सरदार मनमोहन सिंह को उनकी श्रद्धांजलि है, वे लिखते हैं :"मैं 2004 से लगभग तीन साल उनका बॉडी गार्ड रहा। एसपीजी में पीएम की सुरक्षा का सबसे अंदरुनी घेरा होता है - क्लोज़ प्रोटेक्शन टीम जिसका नेतृत्व करने का अवसर मुझे मिला था। एआईजी सीपीटी वो व्यक्ति है जो पीएम से कभी भी दूर नहीं रह सकता। यदि एक ही बॉडी गार्ड रह सकता है तो साथ यह बंदा होगा। ऐसे में उनके साथ उनकी परछाई की तरह साथ रहने की जिम्मेदारी थी मेरी। डॉ साहब की अपनी एक ही कार थी - मारुति 800, जो पीएम हाउस में चमचमाती काली बीएमडब्ल्यू के पीछे खड़ी रहती थी। मनमोहन सिंह जी बार-बार मुझे कहते- असीम, मुझे इस कार में चलना पसंद नहीं, मेरी गड्डी तो यह है (मारुति)। मैं समझाता कि सर यह गाड़ी आपके ऐश्वर्य के लिए नहीं है, इसके सिक्योरिटी फीचर्स ऐसे हैं जिसके लिए एसपीजी ने इसे लिया है। लेकिन जब कारकेड मारुति के सामने से निकलता तो वे हमेशा मन भर उसे देखते। जैसे संकल्प दोहरा रहे हो कि मैं मिडिल क्लास व्यक्ति हूं और आम आदमी की चिंता करना मेरा काम है। करोड़ों की गाड़ी पीएम की है, मेरी तो यह मारुति है।"

जब आप अनंत काल में प्रवेश करेंगे, तो यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि इतिहास न केवल आपके प्रति दयालु होगा, बल्कि आपको इस धरती पर चलने वाले महानतम लोगों में स्थान देगा।

देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार को निधन हो गया. उनकी उम्र 92 साल थी. दिल्ली यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर से लेकर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, देश के वित्त मंत्री और फिर 10 साल तक देश के प्रधानमंत्री रहने का उनका सफर शानदार रहा है. साल 2004 से 2014 के बीच उनकी सरकार ने 5 ऐसे बड़े फैसले किए जिसने देश के लोगों की तकदीर बदली, साथ ही देश की इकोनॉमी को भी ग्रोथ देने का काम किया.

दिया रोजगार का अधिकार

अगर मनमोहन सिंह की सरकार के सबसे बड़े इकोनॉमिक रिफॉर्म के बारे में पूछा जाए, तो वह महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) कानून का पास कराया जाना था. इस एक कानून ने देश में पलायन की समस्या पर रोक लगाने में अहम भूमिका अदा की. इतना ही नहीं, इस कानून की वजह से गांव, गरीब और अकुशल लोगों के लिए 100 दिन का गारंटीड रोजगार मिलना सुनिश्चित हुआ.इस कानून ने 2008 की मंदी में देश के अंदर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बचाए रखने का काम किया.

लेकर आए सूचना का अधिकार

मनमोहन सिंह की सरकार में सूचना का अधिकार (Right To Information) पारित किया गया. इस एक कानून ने इकोनॉमी में ट्रांसपरेंसी लाने का बड़ा काम किया. इससे सरकार की जवाबदेही और उसके पारदर्शिता सुनिश्चित हुई, जो ओवरऑल इकोनॉमी के लिए एक अच्छा कदम साबित हुआ.

दिया भोजन का अधिकार

मनमोहन सिंह की सरकार में एक और बड़ा काम ‘भोजन के अधिकार’ का हुआ. इसके तहत देश के गरीब लोगों को रियायती दर पर भोजन देने का प्रावधान किया गया. इसका फायदा ये हुआ कि देश की एक बड़ी आबादी भूख की चिंता करके देश की इकोनॉमी में अपना योगदान दे सकी. आज देश में जो प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना चल रही है, वह इसी कानून की बदौलत है. इस कानून ने कोविड के दौरान देश के गरीब लोगों की बहुत मदद की.

चांद से मंगल तक का सफर

मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री कार्यकाल में देश की अंतरिक्ष (स्पेस) इकोनॉमी को पावर बूस्ट मिला था. उसी दौर में देश की स्पेस एजेंसी इसरो ने अपने स्पेस क्राफ्ट चंद्रमा और मंगल पर भेजे. इस एक कदम ने भारत को ये ताकत दी कि वह पारग्रही स्पेस मिशन भेजने में भी सक्षम है. मनमोहन सिंह की सरकार के समय में ही भारत के अंतरिक्ष मानव मिशन की रूपरेखा को अमलीजामा पहनाया गया.

स्किल डेवलपमेंट पर काम

मनमोहन सिंह की सरकार ने देश की इकोनॉमी, युवाओं और भविष्य की जरूरत को समझते हुए स्किल डेवलपमेंट पर काम किया. उन्हीं के कार्यकाल में स्किल डेवलपमेंट मिशन की नींव पड़ी, जो आज के समय में कौशल विकास मंत्रालय का रूप ले चुकी है. इकोनॉमी की ग्रोथ की लिहाज से उनकी सरकार का ये कदम काफी अहम था, क्योंकि ये देश की बढ़ती इकोनॉमी के लिए स्किल्ड वर्क फोर्स को तैयार करने का कदम था.

 लेखक :-विनोद सेन सिरोंज 

 


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