अमृत काल में अपराधियों का महिमामंडन देश की अस्मिता पर कलंक


 डॉक्टर सैय्यद खालिद कैस एडवोकेट

 लेखक, साहित्यकार,पत्रकार,समीक्षक।


गत दिनों कर्नाटक से आई ख़बर ने फिर एक बार अमृतकाल में अपराधियों के महिमामंडन को उजागर कर दिया। गुजरात की बिल्किस बानो की घटना के बाद शहीद पत्रकार गौरी लंकेश के 2 हत्यारोपी को कोर्ट से मिली जमानत के बाद उनके समर्थकों द्वारा किए गए भव्य स्वागत की घटना ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया। यही हाल गुजरात की बिल्किस बानो मामले में सामने आई थी जिसमें दुराचार और हत्या के आरोपियों की कथित रिहाई के बाद उनका भव्य स्वागत किया गया था।

गौरतलब हो कि निष्पक्ष पत्रकारिता की संवाहक और दक्षिणपंथी उग्रवाद की कट्टर विरोधी महिला पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या 5 सितंबर 2017 को उनके बेंगलुरु स्थित घर के बाहर दक्षिणपंथी उग्रवाद के उपासक अज्ञात हमलावरों ने कर दी थी। शर्म की बात है कि गौरी लंकेश की हत्या पर दक्षिण पंथी उग्रवादियों द्वारा पूरे प्रदेश में जश्न मनाया गया था। 

गौरी लंकेश की हत्या की इस घटना ने पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया था और पूरे देश में गौरी लंकेश को न्याय दिलाने की मांग उठी थी। जिस पर तत्कालीन कर्नाटक सरकार के उस समय के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व में गौरी लंकेश की हत्या के आरोपियों के मुकदमे में तेजी लाने के लिए दिसंबर 2023 में एक विशेष अदालत का गठन किया था। विशेष अदालत ने तमाम गवाहों,सुबूतों के आधार पर शहीद पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या में शामिल दक्षिणपंथी उग्रवाद के उपासक परशुराम वाघमोरे ,मनोहर यादव ,अमोल काले, राजेश डी बंगेरा, वासुदेव सूर्यवंशी, रुशिकेश देवडेकर, गणेश मिस्किन और अमित रामचंद्र बद्दी को हत्या का आरोपी माना था।

 कर्नाटक के बेंगलुरु सत्र न्यायालय द्वारा दी गई सजा के छह साल की लंबी हिरासत के बाद आरोपी परशुराम वाघमोरे और मनोहर यादव की 11 अक्टूबर को परप्पना अग्रहारा जेल से रिहाई हो गई है। रिहा होने के बाद हत्यारे अपने गृहनगर विजयपुरा लौटे। जहां स्थानीय हिंदू समर्थक समूहों ने उनका भव्य स्वागत किया। माला पहनाकर, नारंगी शॉल ओढ़ाकर और नारे लगाकर उनका सम्मान किया गया। अपनी रिहाई के बाद दोनों ने छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की और फिर कालिका मंदिर में जाकर प्रार्थना की।

गौरतलब हो कि हत्यारे परशुराम वाघमोरे और मनोहर यादव की रिहाई के बाद इस मामले के कई अन्य आरोपियों की रिहाई के रास्ते खुल गए हैं। विजयपुरा में हिंदू समर्थक समूहों द्वारा वाघमोरे और यादव का जोरदार स्वागत इस मामले की विवादास्पद प्रकृति को दर्शाता है। पारंपरिक प्रतीकों और धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ यह स्वागत न केवल रिहाई पर खुशी का प्रतीक था। बल्कि इसके माध्यम से स्थानीय समुदाय ने इस घटना पर अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है।यहां मुद्दा कोर्ट द्वारा दी गई जमानत का नहीं है ,बात है आरोपियों की रिहाई के बाद उनके महिमा मंडन ,स्वागत सत्कार की,बात है हिंदूवादी संगठनों द्वारा उनकी गिरफ्तारी को असंवैधानिक बताने की सवाल की । अब सवाल यह उठता है कि यदि यह लोग गौरी लंकेश के हत्यारे नहीं थे तो गौरी लंकेश की हत्या किसने की ?

सवाल यह है कि गौरी लंकेश के हत्यारों को कांग्रेस शासित सरकार के समय में ही रिहाई क्यों मिली, जबकि पिछली भाजपा सरकार उनको जमानत देकर अपना वोट बैंक मजबूत कर सकती थे! सवाल यह है कि हत्यारोंबकी रिहाई का किसको ज्यादा लाभ मिलेगा। मगर इस सबसे हटकर एक बात गौर करने लायक यह है कि अमृत काल में अपराधियों का महिमामंडन क्या सही होगा।क्या यह सब देश की अस्मिता पर कलंक साबित नहीं होगा। जो भी हो बिल्किस बानो मामले के बाद गौरी लंकेश के मामले में हत्यारों की रिहाई पर जश्न एक सुलगता सवाल है जो न्यायतंत्र सहित लोकतंत्र के लिए अशुभ संकेत हैं।

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