दिल्ली उच्च न्यायालय ने मेधा पाटकर को सेशन्स कोर्ट द्वारा दी सजा को अंतरिम स्थगन किया।

 दिल्ली उच्च न्यायालय ने मेधा पाटकर को सेशन्स कोर्ट द्वारा दी सजा को अंतरिम स्थगन किया।


धार सैयद रिजवान अली


नर्मदा बचाओ आंदोलन नेत्री सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के खिलाफ व्ही. के. सक्सेना, लेफ्टनेंट गवर्नर, दिल्ली ने दर्ज किये 2001 के बदनामी के प्रकरण में जो सजा बदलकर 08.04.2025 के रोज सेशन्स कोर्ट ने 1 साल का 'प्रोबेशन बांड' और 1 लाख रु. कोर्ट में जमा करने का आदेश दिया था, उसे माननीय उच्च न्यायालय ने अंतरिम स्थगित किया। 

सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख जी और कामिनी जायसवाल जी ने मेधा पाटकर के लिए पैरवी भी की।

माननीय उच्च न्यायालय में अगली सुनवाई 20 मई को होगी। 23.04.2025 को सेशन्स कोर्ट ने मेधा पाटकर जी को कोर्ट में प्रत्यक्ष हाजिर न होने के कारण NBW - गैर जमानती वारंट जाहिर किया था। उसके तहत कोर्ट में हाजिर होने के ही लिए आज दिल्ली पहुंचने पर निजामुद्दीन स्टेशन से दिल्ली पुलिस टीम ने मेधा जी को अपने साथ लेकर, मेडिकल टेस्ट करवाकर सेशन्स कोर्ट में पेश किया। सेशन्स कोर्ट में प्रोबेशन बॉन्ड और 1 लाख रु. की राशि जमा करने के पहले माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में मेधा पाटकर को रिहा कर दिया। अधिवक्ता श्रीदेवी पनिक्कर और अभिमन्यु श्रेष्ठ ने इस प्रकरण में लगातार पैरवी की है।

यह जानकारी राजकुमार सिन्हा, प्रफुल्ल सामंतरा महेंद्र मंडलोई ने दी।

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